दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज और ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रहे एस मुरलीधर ने अपने दिल्ली दंगों को लेकर दिए गए आदेश पर चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने कहा कि वे इस चीज से अनजान हैं कि दिल्ली दंगों के उनके फैसले से केंद्र सरकार को क्या परेशानी हुई, जिसकी वजह से उनका ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने कहा कि उनकी जगह कोई और भी जज होता तो उसे भी ऐसा ही करना चाहिए था, क्योंकि यह सही काम था। बता दें कि जस्टिस एस मुरलीधर का नाम तब काफी चर्चा में आया था, जब साल 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान उन्होंने दिल्ली पुलिस को बीजेपी नेताओं अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा आदि के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने पर फैसला लेने आदेश दिया था।
इसके अलावा, आधी रात को अपने आवास पर आपातकालीन सुनवाई के बाद, जस्टिस मुरलीधर ने एक आदेश जारी कर पुलिस को दंगे में घायल हुए लोगों की सुरक्षा करने और उचित सुविधाओं के साथ अस्पताल में उनको सुरक्षित शिफ्ट किए जाने का भी निर्देश दिया था। इन आदेशों के बाद केंद्र सरकार ने जस्टिस मुरलीधर का तबादला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया था।
जस्टिस मुरलीधर 7 अगस्त को ओडिशा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में रिटायर हुए थे। शनिवार को वे बेंगलुरु में साउथ फर्स्ट द्वारा आयोजित वार्षिक सम्मेलन में शामिल हुए थे, जहां पर उन्होंने दर्शकों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए। वे वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े के साथ न्यायपालिका-कार्यकारी टकराव में कौन जीतता है कौन हारता है विषय पर चर्चा कर रहे थे। कानूनी मामलों को रिपोर्ट करने वाली बार एंड बेंच वेबसाइट के अनुसार, एक शख्स ने जस्टिस से पूछा कि क्या उन्हें इस बारे में कुछ कहना है कि दिल्ली दंगों के मामले में आए फैसले के बाद उन्हें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था।